Patrika | 1 week ago | 24-06-2022 | 09:51 am
दाहोद. शाला प्रवेशोत्सव के प्रथम दिन गुरुवार को दाहोद जिले में एक संवेदनात्मक किस्सा देखने को मिला। पिता की नौकरी छूटने के बाद अपने गांव लौटे दसवीं कक्षा के एक विद्यार्थी को जिला शिक्षा अधिकारी काजल दवे ने स्वयं प्रयास कर एक स्कूल में दाखिला दिलाया। इनके इस प्रयास के कारण जहां विद्यार्थी की निराशा तत्काल ही आशा में बदल गई, वहीं डीडीओ के इस प्रयास की हर ओर सराहना होने लगी। हार्दिक डामोर नामक यह विद्यार्थी झालोद के एक स्कूल के बाहर उदास बैठा था। उसके सामने सभी रास्ते बंद थे और आशा की कोई किरण नहीं दिख रही थी। उसे अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था। उसी समय यहां पर शाला प्रवेशोत्सव का शुभारंभ कराने के पश्चात जिला शिक्षा अधिकारी काजल दवे स्कूल से बाहर निकलीं। स्कूल के बाहर चुपचाप और उदास बैठे एक बच्चे को देखकर उन्होंने पूछा कि वह विद्यालय में प्रवेश कराना चाहता है क्या। इस पर हार्दिक नामक इस विद्यार्थी ने कहा कि मुझे किसी भी तरह विद्यालय में प्रवेश चाहिए। दसवीं कक्षा पास करना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने उससे बातचीत की। हार्दिक नामक इस विद्यार्थी ने बताया कि उसके पिता वडोदरा की एक कंपनी में दिहाड़ी पर मजदूरी करते थे। लेकिन उसके पिता की यह नौकरी भी छूट गई। इस वजह से उसे घर वापस लौटना पड़ा।यदि दसवीं कक्षा में प्रवेश नहीं मिलता है तो उसका यह महत्वपूर्ण वर्ष बेकार हो जाएगा। हार्दिक की आवाज सुनकर जिला शिक्षा अधिकारी काजल दवे उसे अपने साथ लेकर वापस विद्यालय में पहुंची और उसे विद्यालय में प्रवेश दिलाया।